उजाला पंजाब अखबार के मंजीत सिंह ने दर्जनों लोगों को ऑनलाइन शिकार बनाया
नई दिल्ली, 17 सितंबर, (प्रेस विज्ञप्ति) हाल ही में पत्रकारिता को पेशे के रूप में अपनाकर इस क्षेत्र में धोखाधड़ी का एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसकी जानकारी भारत के सभी अखबारों और दुनिया भर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से लोगों को सूचित करने और पीड़ितों को उनके अधिकार दिलाने के उद्देश्य से जारी की गई। दरअसल, उजाला पंजाब अखबार, जिसके प्रधान संपादक मंजीत सिंह हैं, लंदन, कनाडा और अमेरिका से उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी अखबार प्रकाशित करने का दावा करता है। जिन्होंने भारत में ऑनलाइन पेज बनाने के लिए आठ लोगों की एक टीम चुनी। वह महीनों तक काम करते रहे और जब पैसे देने की बारी आई, तो यह दिखाने के लिए कि हमने पैसे खाते में ट्रांसफर कर दिए हैं, फर्जी बैंक स्लिप भेजता रहा और काम करता रहा। चूंकि यह रोजगार का मामला है, इसलिए इसकी गंभीरता को देखते हुए, उजाला पंजाब के प्रधान संपादक मंजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। जानकारी के अनुसार, दैनिक उजाला पंजाब के प्रधान संपादक मंजीत सिंह ने हमसे ईमेल के माध्यम से संपर्क किया और कहा कि हम भारत में अपने समाचार पत्र प्रोजेक्ट के बारे में बात करना चाहते हैं। बातचीत करने पर पता चला कि हमें अखबार की पेज मेकिंग करवानी थी। थोड़ी सलाह-मशविरा के बाद, आठ लोगों की एक टीम ने उजाला पंजाब के उर्दू, अंग्रेजी संस्करणों पर काम शुरू कर दिया। चूँकि पत्रकारिता जैसे पेशे में धोखाधड़ी का ऐसा मामला अभी तक नहीं हुआ था, इसलिए शक की कोई गुंजाइश नहीं थी। संपादक ने कोई एडवांस पेमेंट भी नहीं मांगी। महीनों काम करने और टालमटोल करने के बाद, जब उनसे पैसे देने को कहा गया ताकि आगे काम जारी रखा जा सके, तो मंजीत सिंह ने अकाउंट नंबर भी मांग लिया। बैंक अकाउंट देने के बाद, मंजीत सिंह महीनों तक फर्जी ट्रांसफर इनवॉइस भेजता रहा ताकि ऑपरेटर ज़्यादा दिन काम कर सकें, और आरबीआई की गाइडलाइन्स की बात करता रहा। पूछने पर उसे बार-बार यही कहा जाता रहा कि कुछ दिनों में पैसे अकाउंट में आ जाएँगे, अगर नहीं आए तो वह अपने भाई (उस के मुताबिक़ जो की आईएस ऑफिसर है) पंजाब से पैसे भेज देगा। इस तरह, महीनों बीत गए, जिससे ऑपरेटरों को यह कहते हुए काम बंद करना पड़ा कि जब पैसे नहीं दिए जा रहे हैं, तो काम जारी रखने का कोई मतलब नहीं है। महीनों तक मंजीत सिंह ने कई बार काम शुरू करने की कोशिश की और कहा कि पैसे आ जाएंगे, लेकिन अभी तक कोई पैसा नहीं मिला है। जब मंजीत सिंह को पूरा विश्वास हो गया कि ऑपरेटर बिना पैसे दिए काम नहीं करेंगे, तो उन्होंने ऑपरेटरों की टीम के सभी लोगों के नंबर ब्लॉक कर दिए ताकि कोई उनसे संपर्क न कर सके। गौरतलब है कि उजाला पंजाब के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले मंजीत सिंह ने बाकायदा सहमति पत्र भी भेजा था। मंजीत सिंह का जन्म पंजाब के एक शहर में हुआ था और वह कनाडा की नागरिकता लेने के बाद वहीं से यह फर्जीवाड़ा कर रहा है और अपने अखबारों के पेज बनाने का काम भारत और अन्य देशों के ऑपरेटरों से करवा रहा है।