Articles مضامین

लक्षद्वीप की प्रधानमंत्री की तस्वीरों ने यूं ही नहीं मचाई हलचल

अवधेश कुमार


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप की यात्रा मालदीव के कूद पड़ने से भारत सहित संपूर्ण विश्व में चर्चा का विषय बन गया है। निश्चय ही नरेंद्र मोदी की स्नौर्कलिंग वाली तस्वीरों को लेकर कांग्रेस पार्टी सहित सभी नकारात्मक और उपहासात्मक टिप्पणियां करने वालों को अफसोस हो रहा होगा। कांग्रेस के कई नेताओं ने टिप्पणी कर दी कि राहुल गांधी तो एक ही बार में समुद्र में कूद गए जबकि प्रधानमंत्री को लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम के साथ समुद्र में उतरना पड़ा। शायद मालदीव के तीन मंत्रियों की टिप्पणियों और उन पर हो रही कार्रवाई से उन्हें अहसास हुआ होगा कि यह समुद्र के अंदर केवल एडवेंचर का आनंद लेने की कोशिश नहीं बल्कि व्यापक आयाम वाली गतिविधियां थीं।  उनकी कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इनमें ‘स्नॉर्कलिंग’ बाली तस्वीरों पर भारतीय राजनीति में विवाद हुआ तो शेष अन्य तस्वीरें और ट्वीट पर मालदीव के तीन मंत्रियों ने टिप्पणी कर दी।  स्नौर्कलिंग एक एडवेंचर गतिविधि है जिसमें आप समुद्र की सतह पर तैरते हुए उसके नीचे के समुद्री जीवन का पता लगाते हैं। स्नॉर्कलर्स (जो डुबकी लगाते हैं) अपनी दृष्टि के लिए एक मास्क पहनते हैं और सांस लेने के लिए एक स्नॉर्कल, और कभी-कभी दिशा और गति के लिए पंख पहनते हैं। प्रधानमंत्री मोदी न तो छुट्टियां मनाने गए थे, न  स्नौर्कलिंग सीखने। उनको पता है कि अगर वहां स्नौर्कलिंग करेंगे , उसकी तस्वीरें जारी होंगी , वहां के बारे में कुछ लिखेंगे तो भारत सहित संपूर्ण विश्व के लोगों का ध्यान आएगा जो समय-समय पर घूमने के लिए ऐसी विशेष कर उनका जो घूमने व एडवेंचर के लिए ऐसे स्थानों की तलाश में रहते हैं। भारत के कई समुद्र तट व द्वीपसमूह इसके लिए अनुकूल हैं, पर उसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं तथा आवश्यक मूलभूत संरचना का भी अभाव है। प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘‘जो लोग रोमांचकारी अनुभव लेना चाहते हैं, लक्षद्वीप उनकी सूची में जरूर होना चाहिए। मेरे प्रवास के दौरान, मैंने स्नॉर्कलिंग की भी कोशिश की यह कितना उत्साहजनक अनुभव था!’ प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप के प्राचीन समुद्र तटों पर सुबह की सैर और कुर्सी पर बैठे फुर्सत के कुछ क्षणों की भी तस्वीरें शेयर कीं। ये सारी तस्वीरें और वक्तव्य ऐसे थे जिन्हें देखने के बाद हर व्यक्ति के अंदर वहां एक बार जाने की इच्छा जरूर हुई होगी। इसीलिए गूगल से लेकर अन्य जगहों पर लक्षद्वीप की खोज करने वाले लोगों की संख्या एकाएक बढ़ गई। प्रधानमंत्री मोदी का यही मूल लक्ष्य रहा होगा। इसी कारण मालदीव को भी परेशानी हुई क्योंकि प्रधानमंत्री के पोस्ट में लक्षदीप के साफ नीले पानी, आसमान और रेतीले तटों वाली सुंदर तस्वीरें मालदीव के द्वीपों जैसी ही हैं। मालदीव को इंस्टाग्राम इनफ्लुएंशल रिले बनाकर लोकप्रिय कर दिया है लेकिन आप वहां जाते हैं तो बहुत ज्यादा समय आकर्षक बना नहीं रहता क्योंकि तस्वीरों के म्यूजिक आदि वहां नहीं होते। संपन्न लोग मालदीप जाते हैं लेकिन ज्यादा समय नहीं रुकते। लक्षद्वीप लोगों की दृष्टि से दूर है। ज्यादातर भारतीय भी वहां नहीं गए हैं।  अब तक के कार्यकाल में प्रधानमंत्री के  सोचने और काम करने के तरीके को समझ चुके लोगों के लिए तस्वीरों और सोशल मीडिया पर लिखी गई पंक्तियों के लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट थे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पूरे कार्यकाल में भारत के प्रमुख आध्यात्मिक ,धार्मिक, सांस्कृतिक, पर्यटन योग्य स्थानों के लिए अधिकतम विकास योजनाएं बनाकर राज्यों के साथ मिलकर उसे पूरा करने, शिलान्यास व लोकार्पण करने की कोशिश की है।  उन्होंने विदेशी नेताओं को भी उन स्थानों पर ले जाकर कार्यक्रम किये हैं जिनकी लाइव तस्वीरें दुनिया भर में गई। पर्यटन के स्थलों पर भी पर्यटन संबंधी क्रियाएं करना, वहां के प्रमुख खाद्य सामग्रियों को खाना आदि की सोशल मीडिया और लाइव तस्वीरें से लोगों को आकर्षित करने की कोशिश की है। कोई माने न माने प्रधानमंत्री मोदी इस समय किसी भी विज्ञापन के लिए सबसे बड़े ब्रांड हैं।  गुजरात के मुख्यमंत्री रहते उन्होंने गिर के जंगल के शेरों तथा सफेद रेतों की जैसी मार्केटिंग की उसके कारण वहां जाने वाले पर्यटकों की संख्या अद्भुत रूप से बढ़ी। वाराणसी, प्रयागराज, केदारनाथ,उज्जैन महाकाल, बद्रीनाथ आदि का कायाकल्प मोदी के ही काल में हुआ है। मोदी धीरे-धीरे भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तीर्थ स्थलों, पर्यटन स्थलों,स्थानीय उत्पादों को इसी तरह प्रमोट करते हैं तथा उसका असर भी दिख रहा है। आंकड़ें बताते हैं कि वाराणसी आने वाले लोगों की संख्या गोवा जाने वाले लोगों की संख्या से 2022 में 10 गुनी अधिक थी। अभी अयोध्या में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के पहले पूरे क्षेत्र का बदला चरित्र कोई भी देख सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डे से लेकर स्टेशन, होटल, तीर्थ जातियों के लिए सेवाएं आदि से अयोध्या की वर्तमान और भाभी तस्वीर स्पष्ट हो रही है। कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि किसी प्रधानमंत्री का रोड शो अयोध्या में हुआ। उस रोड शो क अगर राजनीतिक कोना था भी तो पूरे विश्व में संदेश गया कि वहां की सड़कें इतनी चौड़ी हैं जहां आराम से बड़ी-बड़ी गाड़ियां चल सकती हैं रुक सकती हैं और रोड शो पर दिखने वाली तस्वीरों से भी ऐसा लगता था कि अयोध्या आकर्षक और बदली हुई है। प्रधानमंत्री ने अब लक्षद्वीप को भी स्नौर्कलिंग और समुद्री पर्यटन की दृष्टि से विश्व के शीर्ष पर्यटन स्थल पर लाने की रणनीति प्रदर्शित कर दी है। उनकी एक पंक्ति देखिए  ‘हाल ही में मुझे लक्षद्वीप के लोगों के बीच रहने का अवसर मिला। प्राकृतिक सुंदरता के अलावा, लक्षद्वीप की शांति भी मंत्रमुग्ध कर देने वाली है। अगर प्रधानमंत्री बिना अपनी वहां गतिविधियों की तस्वीरों के लिखते तो उसका उतना प्रभाव नहीं पड़ता।

मालदीव के मंत्रियों को इस कारण परेशानी पैदा हुई और उन्होंने बिना सोचे समझे भारत के पर्यटन स्थलों, होटलों ,सफाई व्यवस्था आदि की आलोचना शुरू कर दी। मालदीप के नए राष्ट्रपति द्वूचीन के प्रभाव में भारत विरोधी रवैया अपनाना आम भारतीयों को उत्तेजित कर रहा है किंतु प्रधानमंत्री के स्तर से उस रूप में उनका जवाब देना अंतरराष्ट्रीय राजनय और दूरगामी दृष्टि से अनुचित होगा। बिना कुछ कहे और मालदीव का नाम लिए प्रधानमंत्री की इस छोटी  कोशिश ने कैसा प्रभाव डाला है उसे देखने के बाद मानना पड़ेगा कि नरेंद्र मोदी उन अनेक लोगों से ज्यादा गहरी सोचते हैं तथा उसे जमीन पर उतारने के लिए स्वयं साहस के साथ आगे आते हैं। प्रयागराज कुंभ या काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण डुबकी लगाकर बाहर निकलती तस्वीरें ने देश-विदेश के करोड़ों लोगों को संगम तथा गंगा स्नान की ओर आकर्षित किया। इसी तरह केदारनाथ की एक गुफा में बैठकर ध्यान लगाना विश्व भर में ध्यान करने व शांति की चाहत वालों को आकर्षित किया है। ऐसी कोई काम वो अचानक नहीं करते। पहले क्षेत्र का पूरा सर्वेक्षण करके योजना बनाई जाती है और  सबको जमीन पर उतारने के कार्यों के एक सीमा तक पूरा होने के बाद इस तरह सार्वजनिक करने लगते हैं। लक्षद्वीप में भी उन्होंने अचानक नहीं किया है। केन्द्र सरकार स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर वहां आधारभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए लगातार काम कर रही है। वहां मोदी कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीप पनडुब्बी ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन का उद्घाटन करने और प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा और पांच मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों के नवीनीकरण की आधारशिला रखने के लिए दो और तीन जनवरी को लक्षद्वीप गये थे। उन्होंने लक्षद्वीप के द्वीपों की सुंदरता के साथ लोगों की गर्म जोशी को अविश्वसनीय बताया है। इसका अर्थ हुआ कि वे आने वालों को बता रहे हैं कि लोग आपका गर्मजोशी से आतिथ्य करने वाले हैं।‌ उन्होंने तीन द्वीपों अगाती, बंगाराम और कावारत्ती की विशेष चर्चा की। ध्यान रखिए, ये तीन द्वीप ही केवल विदेशियों के लिए खुले हैं। लक्षद्वीप की प्राकृतिक संवेदनशीलता यहां के चट्टानों, रीछ आदि की सुकोमलता, संवेदनशीलता आदि की चर्चा करने वाले भविष्य को लेकर स्वाभाविक रूप से ही चिंतित होंगे। ज्यादा पर्यटकों की आवाजाही व  भारी मकान आदि बनाने के बाद वहां पर्यावरण संतुलन भाव हो सकता है। प्रधानमंत्री ने जीवन के उत्थान के लिए विकास की चर्चा करते हुए कहा कि भविष्य के इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के अलावा, यह जीवंत स्थानीय संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, तेज इंटरनेट और पीने के पानी के अवसर पैदा करने के बारे में भी है।

मास्टर प्लान ऐसी है जिसमें कुछ वर्षों में लक्षद्वीप की पूरी तस्वीर बदल जाएगी। अभी होटल में केवल 150 कमरे तथा होम स्टे में 300 कमरे ही उपलब्ध है। वह भी काफी महंगे हैं। समुद्र तट को नए सिरे से तैयार किया गया है जिनमें 370 वॉटर विला बनाए गए हैं। लगभग 65 हजार की आबादी वाले 36 द्वीपों के लक्षद्वीप में 95 प्रतिशत आदिवासी है। आदिवासियों का जीवन यापन नारियल के पेड़ और पर्यटन से ही चलता हैं। 36 द्वीपों में से 11 पर ही इंसान है। जलवायु परिवर्तन से नारियल के पेड़ सूख रहे हैं। स्वभावी के यहां उन पैरों को बचाने तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा उनके भी विकास का कोई आधार नहीं हो सकता। आदिवासियों की सुरक्षा के लिए प्रवेश एवं निवास प्रबंध नियम 1967 लागू है। इसके अनुसार यहां पर्यटन के लिए आने से पहले इनर लाइन परमिट लेना  होता है। हालांकि सरकारी अधिकारी यहां काम करने वाले मजदूरों और सशस्त्र बलों तथा उनके परिवारों को छूट है। अभी तक केवल 300 परमिट बनते हैं। इनका ध्यान रखते हुए ही नीतियों और निर्माण हो रहे हैं। इस तरह प्रधानमंत्री के छोटे से डर ने लक्ष्यदीप के भाग्य बदलने का ठोस आधार बनाया है तथा भारत के ऐसे सभी छात्रों के लिए उम्मीद जगाई है जो अभी तक अपनी संभावनाओं के अनुरोध विकास की नीतियों से विलक है। आत्मनिर्भर विकसित भारत की दिशा आध्यात्मिक तीर्थ यात्राओं और पर्यटन तथा स्थानीय उत्पादों के विपणन द्वारा संभव हो सकता है। मोदी की सभी कोशिशों का लक्ष्य यही है।

Related posts

اسلامی پردہ اور جدید فلسفہ مغرب

Paigam Madre Watan

انسانی زندگی پر فکری سحر انگیزیوں کے اثرات 

Paigam Madre Watan

Comment on the book “15 Minutes: Remove the Police”. Book Title: “15 Minutes: Remove the Police”

Paigam Madre Watan

Leave a Comment

türkiye nin en iyi reklam ajansları türkiye nin en iyi ajansları istanbul un en iyi reklam ajansları türkiye nin en ünlü reklam ajansları türkiyenin en büyük reklam ajansları istanbul daki reklam ajansları türkiye nin en büyük reklam ajansları türkiye reklam ajansları en büyük ajanslar